ध्यान योग आश्रम में, हम आयुर्वेद और योग के प्राचीन विज्ञान पर आधारित समग्र उपचार सेवाएँ प्रदान करते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में 34 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, हम योग के अभ्यास , ध्यान की प्राचीन विधियों ,आसन ,प्राणायाम ,आयुर्वेद ,पंचकर्म ,षट्कर्म ,मर्म-चिकित्सा ,प्राक्रतिक-चिकित्सा का उपयोग करके सभी प्रकार की गंभीर बीमारियों का निदान करके उन्हें पूर्णतः निर्मूल करके मानव शरीर को स्वस्थ्य प्रदान करने के लिए समर्पित है। हम एक ऐसा स्थान उपलब्ध करवाते हैं जहाँ व्यक्ति एक शांतिपूर्ण वातावरण में अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध कर सकता है।
हमारे उपचार में शामिल हैं:
- योग और ध्यान
- आयुर्वेद
- पंचकर्म
- प्राकृतिक चिकित्सा
- मर्म उपचार
- षट्कर्म
स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम
योगतीर्थ आयुर्वेद में ठहराव केवल एक आवास नहीं, बल्कि यह एक पूर्ण आयुर्वेदिक जीवनशैली का आरंभ है। यहाँ आप आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचकर्म थैरेपी, योग, ध्यान और सात्विक भोजन के साथ अपने तन, मन और आत्मा को पुनर्जीवित कर सकते हैं। हर कमरे को इस प्रकार तैयार किया गया है कि रोगी को शांति, स्वच्छता और पूर्ण विश्राम मिले। हमारी अनुभवी चिकित्सा टीम हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार देखभाल करती है।



उपचार के बारे में
योग एवं आयुर्वेद प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ हैं, जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर बल देती हैं। आयुर्वेद में रोगों का उपचार प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, आहार-विहार और जीवनशैली में सुधार द्वारा किया जाता है, जबकि योग शारीरिक आसनों, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। दोनों ही पद्धतियाँ मिलकर न केवल रोगों के इलाज में सहायक होती हैं, बल्कि रोगों की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। योग और आयुर्वेद का सामंजस्य holistic healing की दिशा में एक प्रभावी विकल्प प्रदान करता है, जो आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
यदि आप मानसिक व् शारीरिक स्तर पर संतुलन व् सामंजस्य की इच्छा रखते है |
हमें क्यों चुनें
योगतीर्थ में हम आपको उपलब्ध करवाते हैं

ध्यान

प्राणायाम

स्वस्थ शरीर व् शांत मन के लिए सुबह शाम योगाभ्यास
स्वाभाविक होने को ,अस्तित्व की लय के साथ एक हो जाने को ही पतंजलि योग कहते हैं | योग के माध्यम से हम जीवन जीने की कला सीखते हैं | योग रहित जीवन उबाऊ है ,काव्यहीन है, सौंदर्यहीन है ,लक्ष्यहीन है ,अर्थहीन है | योग हमे जीवन के प्रति विज्ञानिक दृष्टिकोण देता है | योग के नियमित अभ्यास से गंभीर रोगों को सरलता से ठीक किया जा सकता है |स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए व् आतुर ( रोगी ) को निरोग बनाने के लिए नियमित रूप से सुबह -शाम योगतीर्थ संस्थान में योगाभ्यास किया जाता है |


आसन
शरीर में दोषों (वात ,पित्त ,कफ ) को संतुलित करने के लिए
आयुर्वेद के दोनों प्रयोजन स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा तथा आतुर व्यक्ति के रोग प्रशमन ,इनकी प्राप्ति पंचकर्म द्वारा संभव है |चिकित्सा के सिद्धांतो में सबसे महत्तव्पूर्ण है-१.संशोधन ,२. संशमन ,३. निदान परिवर्तन ,इन तीनो में रोग की पुनः उत्पत्ति न होने के कारण संशोधन का प्रथम स्थान है क्योंकि पंचकर्म के द्वारा ही रोग समूल नष्ट होते हैं |पंचकर्म के द्वारा ही प्रयोजन का प्रथम उद्येश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु ऋतुचर्या के अनुसार पंचकर्म निर्दिष्ट है जिससे रोग उत्पन्न होने से पूर्व ही दोषों को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है जिससे त्रिदोषों में साम्य स्थापित होकर आरोग्य प्राप्ति होती है |

शिरोधारा

नस्यम

अभ्यंग

वमन

जल नेति

मिट्टी-पट्टी

एनिमा

भाप स्नान
शरीर को शुद्ध करने के लिये
वर्तमान समय एक व्यस्तम आधुनिक मशीनी युग बन गया है |जिसके कारण लोगों की जीवनचर्या में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं जिसमे आहार संबंधित जैसे फ़ास्ट फ़ूड ,पैक्ड फ़ूड ,अतिशीत भोजन व् उच्च कैलोरी युक्त भोजन ग्रहण किया जाता है तथा शारीरिक श्रम एकदम अल्प हो गया है | आरामदायक जीवनचर्या के कारण मोटापा ,मधुमेह ,उच्च रक्त चाप ,हाइपोथायराइडिज्म ,हृद्यरोग जैसी अनेक बीमारियाँ हो रही है , जिनका आधुनिक चिकित्सा में कोई स्थाई समाधान उपलब्ध नहीं है | इस चिन्तनीय समस्या का समाधान करने के लिए प्राक्रतिक चिकित्सा एक अतुल्नीय विकल्प है ,जिसका उपयोग करके हार्मोनल रोग ऑटो इम्यून रोग ,सोरायसिस SLE ,सफेद दाग ,न्युरोलोजिकल रोग ,अपस्मार ,उन्माद ,अनिद्रा ,मानसिक रोग ,कैंसर आदि रोगों का उपचार सरलता के साथ किया जाता है | प्राकृतिक चिकित्सा में प्रमुख रूप से धुप ,मिट्टी ,हवा , जल,अथवा ठंडा गर्म सेक आदि का उपयोग किया जाता है | ठंडी गर्म सेक ,मिट्टी पट्टी ,एनिमा ,मालिश ,भाप स्नान ,कटी स्नान ,मिट्टी स्नान ,धुप सेवन ,उपवास ,फलाहर ,व् ठंडी गर्म लपेट आदि कई प्रकार की विधियों का उपयोग करके रोग ग्रसित शरीर से विकारों को बाहर निकाल कर शरीर को निरोग किया जाता है |

कटी स्नान

ठंडा - गर्म सेक
शरीर में उर्जा को संतुलित करने के लिये
मर्म विज्ञान ,आयुर्वेदिक ज्ञान के विशाल भंडार में एक असाधारण रत्न है, जो शरीर में विशेष महत्वपूर्ण स्थानों ( मर्म ) के विज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है | योग व् अन्य प्राचीन भारतीय परम्पराओं में मर्म विज्ञान का उपयोग ,एक चिकित्सीय तकनीक के रूप में किया गया है | मानव शरीर में मूख्य रूप से १०८ मर्म स्थान तथा ७०० उर्जा बिन्दुओं पर प्राण उर्जा के बाधित हो जाने से विभिन्न प्रकार के असाध्य रोग उत्पन्न हो जाते हैं ,जिनका उपचार करने के लिए मर्म चिकत्सा व् सूक्ष्म योगिक क्रिया एकमात्र विकल्प है | सभी १०८ मर्म स्थानों पर विशेष दबाव डालकर अथवा मालिश के माध्यम से विकृत व् बाधित प्राण को संचालित करके तथा ७०० उर्जा बिन्दुओं को सूक्षम योगिक क्रियाओं जैसे सर्वोतान ,स्कन्ध- चालन ,पग- चालन ,नाभि- चालन ,जानू- प्रसार ,बाल – मचलन ,नाड़ी- संचालन ,उत्क्षेपण आदि के अभ्यास से उर्जा को संतुलित करके शरीर को रोगमुक्त किया जाता है |





असाध्य रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधालय
प्रत्येक विज्ञान अपने निश्चित सिद्धांतों पर आगे बड़ता है | आयुर्वेद भी आयु का विज्ञान है |जिस शास्त्र में आयु का अस्तित्व हो ,आयु का ज्ञान हो ,आयु सम्बन्धी विचार हो और जिस से आयु की प्राप्ति हो उस शास्त्र को आयुर्वेद कहते हैं |जिस शास्त्र में हितमय ,अहितमय ,सुखमय ,दुःखमय ,आयु तथा आयु के लिए हितकर ,अहितकर द्रव्य ,गुण ,कर्म ,आयु का प्रमाण एवं लक्षण द्वारा वर्णन होता है -उसका नाम आयुर्वेद है |ऋषियों की इसी विज्ञानिक परम्परा का पालन करते हुए योगतीर्थ संस्थान में हम आयुर्वेद की विभिन्न चिकित्सा जैसे रस -चिकित्सा ,विष -चिकित्सा ,स्वरस-चिकित्सा ,रसायन -चिकित्सा ,अथवा वटी ,चूर्ण ,अवलेह ,पर्पटी ,गुग्गल , असाव-आरिष्ट ,लोह ,क्षार .फांट ,हिम ,क्वाथ इत्यादि का उपयोग करके सभी प्रकार के साध्य -असाध्य रोगों का उपचार सफलता -पूर्वक कर रहे हैं |चिकित्सा -कार्य में उपयोग होने वाली औषधियों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने हेतु औषधियों का निर्माण भी योगतीर्थ संस्थान में ही किया जाता है |



शरीर को उर्जावान व् बलवान बनाने के लिए योगासन ,व्यायाम और खेल -कूद की व्यवस्था
निरोग शरीर को किस प्रकार से स्वस्थ बनाएं रखें ,कैसे कैसे शरीर को बलवान ,उर्जावान ,और दीर्घायु बनाएं उसके लिए भी योगतीर्थ संस्थान में उचित व्यवस्था की गई है | सुबह-शाम योगासन के अभ्यास के लिए योगकक्ष ,व्यायाम के लिए व्यायामशाला ,खेलने के लिए बैडमिंटन कोर्ट भी उपलब्ध है |



- मानसिक रोगों व् आत्मिक उन्नति के लिए सुबह शाम योगाभ्यास
- शरीरमें दोषों (वात ,पित्त ,कफ ) को संतुलित करने के लिए
- शरीर को शुद्ध करने के लिये
- शरीर में उर्जा को संतुलित करने के लिये
- प्राणघातक एवं कष्टदायक व् गम्भीर रोगों के उपचार के लिये
- शरीर में शक्ति व् उर्जा को संतुलित करके बलवान बनाने के लिये
- आपको सवस्थ व् शांतिपूर्ण जीवन के लक्ष्य को उपलब्ध करवाने के लिये समर्पित , गुरुदेव के दिशा निर्देशन में कार्यरत अनुभवी एवं योग्य चिकित्सक व् सहायक
- ध्यान एवं प्राणायाम
- पंचकर्म व् षट्कर्म
- प्राकर्तिक चिकित्सा
- मर्म चिकित्सा एवं सूक्ष्म योगिक क्रिया
- प्राचीन परम्परागत एवं आधुनिक आयुर्वेद का संगम
- योगासन ,खेल ,आधुनिक व्यायामशाला
- डॉ .स्वामी ओमदेव योगतीर्थ (B.A.M.S./MSC.YOGA)व् अन्य सेवकगण

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