षट्कर्म

षट्कर्म योग की छह शुद्धिकरण क्रियाओं का समुच्चय है, जिनका उद्देश्य शरीर, मन और इंद्रियों की गहराई से सफाई करना होता है। ये क्रियाएँ योग अभ्यास से पहले शरीर को शुद्ध और तैयार करने में सहायक होती हैं।

षट्कर्म: योग की शुद्धिकरण पद्धतियाँ शरीर और मन की गहराई से सफाई

योगतीर्थ आयुर्वेद में, योग की प्राचीन शुद्धिकरण पद्धतियाँ षट्कर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है। षट्कर्म का अर्थ है “छह क्रियाएँ,” और यह योग के छह प्रमुख शुद्धिकरण अभ्यासों का समूह है, जिनका उद्देश्य शरीर और मन को गहराई से शुद्ध करना और सभी अवरोधों को दूर करना है। योग के ये अभ्यास व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करते हैं और योग अभ्यास के लिए शरीर को तैयार करते हैं।

षट्कर्म क्या है?

षट्कर्म योग की छह शुद्धिकरण प्रक्रियाओं का समूह है, जो शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और अंगों को शुद्ध करने के लिए किए जाते हैं। ये प्रक्रियाएँ शरीर के आंतरिक अंगों, तंत्रिकाओं, और मानसिक स्थिरता को संतुलित और शुद्ध करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य शरीर के सभी दोषों (कफ, पित्त, और वात) को संतुलित करना और स्वास्थ्य को बनाए रखना है।

षट्कर्म की छह प्रमुख क्रियाएँ

  1. नेति (Neti – नासिका शुद्धि): यह प्रक्रिया नासिका मार्ग की सफाई के लिए की जाती है। इसे जल नेति और सूत्र नेति के रूप में किया जाता है। जल नेति में हल्के नमक के पानी का उपयोग कर नासिका की सफाई की जाती है, जबकि सूत्र नेति में कपास या रबर की नली का उपयोग होता है। यह प्रक्रिया श्वसन तंत्र को शुद्ध करती है और साइनस, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी होती है।

  2. धौति (Dhauti – पाचन तंत्र शुद्धि): धौति क्रिया में पाचन तंत्र की सफाई की जाती है। इसमें वमन धौति (उल्टी के माध्यम से सफाई), वस्त्र धौति (सूती कपड़े को निगल कर पाचन तंत्र की सफाई), और दन्त धौति (मुंह और गले की सफाई) शामिल होते हैं। यह पाचन तंत्र से विषाक्त पदार्थों को निकालकर उसे स्वस्थ बनाता है।

  3. बस्ती (Basti – मलाशय शुद्धि): बस्ती क्रिया मलाशय की सफाई के लिए की जाती है। यह एक प्रकार का योगिक एनीमा है, जिसमें जल या हवा का उपयोग करके आंतों की सफाई की जाती है। यह पेट की समस्याओं, कब्ज और पाचन विकारों को दूर करने में सहायक होती है।

  4. कपालभाति (Kapalbhati – श्वसन क्रिया): कपालभाति एक श्वसन संबंधी क्रिया है, जिसमें बलपूर्वक साँस छोड़ने की प्रक्रिया से शरीर में जमा कफ को बाहर निकाला जाता है। यह मस्तिष्क और श्वसन तंत्र को शुद्ध करती है और शरीर में ऊर्जा का संचार करती है।

  5. त्राटक (Trataka – नेत्र शुद्धि): त्राटक क्रिया में एक बिंदु या वस्तु पर निरंतर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जैसे मोमबत्ती की लौ। इससे आँखों की दृष्टि तेज होती है, मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है, और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।

  6. नौली (Nauli – उदर शुद्धि): नौली क्रिया में पेट की मांसपेशियों को हिलाकर उदर की सफाई की जाती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करती है, कब्ज दूर करती है, और पेट से संबंधित अन्य विकारों में लाभकारी होती है।

षट्कर्म के लाभ

  1. शारीरिक शुद्धि: षट्कर्म प्रक्रियाएँ शरीर को गहराई से शुद्ध करती हैं, जिससे आंतरिक अंगों की सफाई होती है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।

  2. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: षट्कर्म अभ्यास शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।

  3. मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि: त्राटक और कपालभाति जैसी क्रियाएँ मानसिक स्थिरता और ध्यान की क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे व्यक्ति ध्यान और योग अभ्यास में गहरी शांति प्राप्त कर सकता है।

  4. पाचन तंत्र में सुधार: धौति और बस्ती क्रियाएँ पाचन तंत्र को साफ और स्वस्थ बनाती हैं, जिससे कब्ज, एसिडिटी और पेट की समस्याएँ दूर होती हैं।

  5. वातावरण के साथ संतुलन: शरीर के दोषों (कफ, पित्त, वात) को संतुलित करने के लिए ये क्रियाएँ अत्यधिक लाभकारी हैं, जो शरीर को स्थिर और स्फूर्तिवान बनाती हैं।

योगतीर्थ आयुर्वेद में षट्कर्म का अनुभव

हमारे ध्यान योग आश्रम में षट्कर्म अभ्यास का विशेष महत्व है। यहाँ के प्रशिक्षित और अनुभवी योगाचार्य प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार उन्हें षट्कर्म की विभिन्न प्रक्रियाओं का अभ्यास कराते हैं। हिमाचल प्रदेश के स्वच्छ और शांत वातावरण में योग और षट्कर्म की यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक शुद्धि में सहायक होती है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है।

निष्कर्ष

षट्कर्म योग की प्राचीन शुद्धिकरण पद्धति है, जो शरीर और मन को शुद्ध कर जीवन में नए स्वास्थ्य और संतुलन का अनुभव कराती है। योगतीर्थ आयुर्वेद में, हम इन क्रियाओं के माध्यम से आपके शरीर को शुद्ध, मजबूत और ध्यानयोग्य बनाते हैं, जिससे आप शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त कर सकें।

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